क्या यही सुर दुर्लभ मानव तन है

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क्या यही सुर दुर्लभ मानव तन है जिंदगी रो रही है और मौत हंस रही है इन दोनों के बीच में,सांसे सिसक रही है आज हर तरफ बेबसी का आलम है ...

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